हिंदी शायरी



प्यार के पल समझ के बाहर होते है ,
न जाने क्यो इसके सारे इल्जाम अपनेसे लागते है ।
शायारोने शायारीसे प्यार करणा तो सिखाया ,
पर जुदाई  के मौसमसे जुस्तजू भी कराया ।
सिखाया ऐ शायर तुने प्यार मी शायरी लिखना ,
क्यो न सिखाया जुदाई के गम से उभराना ?????


हर गली हर चौबारा  जानता है ,
मुझे तुझसे प्यार है  सारा जग मानता है ।
एक तुही न जाने क्यो अंजान है इस एहसाससे ,
अबतक न हुआ मुवाक्कल मेरी मोहोब्बतसे।


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